दाऊद इब्राहिम के गुर्गे छोटा शकील का दावा, अजमल कसाब को मारने की सुपारी नहीं थी


मुंबई धमाकों के आरोपी और अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) के दाहिने हाथ माने जाने वाले छोटा शकील (Chhota Shakeel) ने बड़ा खुलासा किया है। एक निजी चैनल से बात करते हुए उसने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया (Rakesh Maria) के इस दावे को गलत बताया है कि 26/11 के हमलावर मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को मारने के लिए दाऊद गैंग ने सुपारी ली थी। राकेश मारिया ने अपनी किताब Let Me Say It Now में लिखा है कि कसाब को हिंदू आतंकवादी साबित करने के लिए उसे मारने की साजिश थी।

छोटा शकील ने न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, " ये सब बकवास है। किताब बेचने के लिए ये सब हो रहा है। कसाब या कोई , मारने वारने का कोई सब्जेक्ट ही नहीं है हमारा। हिंदुस्तान में कौन झूठ नहीं बोलता। सब झूठ बोल रहे हैं।"


उधर अजमल कसाब (Ajmal Kasab) को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले सरकारी वकील उज्जवल निकम ने भी कहा कि मुंबई पुलिस की चार्जशीट में कहीं भी इसका जिक्र नहीं था कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI)या लश्करे तैयबा या दाऊद इब्राहिम ने अजमल कसाब को मारने की सुपारी ली थी।

मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब को 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।

राकेश मारिया ने कसाब पर क्या लिखा?

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने 26/11 आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को लेकर अपनी आत्मकथा में बड़ा दावा किया है। Let Me Say It Now शीर्षक से लिखी गई इस किताब में मारिया ने दावा किया है कि मुंबई पुलिस कसाब की तस्वीर जारी नहीं करना चाहती थी।

मारिया ने दावा किया कि पुलिस ने पूरी कोशिश की थी कि आतंकी की डिटेल मीडिया में लीक न हो पाए। इतना ही नहीं, मारिया ने यह भी दावा किया है कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम गैंग को कसाब को मारने की सुपारी भी दी गई थी। मारिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, 'दुश्मन ( आतंकी कसाब) को जिंदा रखना मेरी पहली प्राथमिकता थी। कसाब के खिलाफ लोगों का आक्रोश और गुस्सा चरम पर था। इतना ही नहीं, मुंबई पुलिस के ऑफिसर भी आक्रोशित थे। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा आतंकी कसाब को किसी भी हाल में उसे रास्ते से हटाने की फिराक में थे क्योंकि कसाब मुंबई हमले का सबसे बड़ा और एकलौता सबूत था।'

'हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की थी साजिश'

किताब में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का जामा पहनाने की भी कोशिश की थी। 10 हमलावरों को हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ हिंदू नाम वाले फर्जी आईकार्ड भेजे गए थे। कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिसपर उसका नाम समीर चौधरी लिखा हुआ था।