कोरोना वायरस का कहर इस कदर हावी हो चुका है कि लोग ऐसी हर बात पर यकीन कर रहे हैं जो कोरोना वायरस को ठीक करने का दावा करती हो। बहुत से लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि ऐल्कॉहॉल पीने से भी कोरोना वायरस के बच सकते हैं। लेकिन इस तरह बातों में कोई सच्चाई नहीं। यहां जानें कोरोना से जुड़ी ऐसी ही 10 बातें जो पूरी तरह से झूठ हैं।
1. मिथक: तापमान बढ़ने पर कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा
हकीकत: इस बात का अभी कोई सबूत नहीं है। हालांकि ज्यादा तापमान पर वायरस का एक से दूसरे में फैलने का खतरा जरूर कम हो जाता है क्योंकि सारे वायरस गर्मी को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं। ऐसे में गर्मी बढ़ने पर कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा इस बात के कोई पुख्ता सबूत फिलहाल नहीं हैं।
2. मिथक: गर्म पानी से नहाने से आप इंफेक्शन से बच सकते हैं
हकीकत: सिर्फ गर्म पानी से नहाने से आप कोरोना वायरस से बचे रहेंगे इस बात में भी कोई सच्चाई नहीं है। इंफेक्शन से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप बार-बार साबुन और पानी से अच्छी तरह से हाथ धोते रहें। अगर पानी से हाथ धोना संभव ना हो तो हैंड सैनिटाइजर यूज करें जिसमें 60 से 70 प्रतिशत ऐल्कॉहॉल हो।
3. मिथक: चीन और दूसरे देश, जहां कोरोनो के मामले ज्यादा हैं, वहां की बनी चीजों से भी कोरोना फैल सकता है
हकीकत: बहुत मुश्किल है कि अलग-अलग स्थितियों और तापमान के बीच, अलग-अलग जगहों पर ट्रैवल करने के बावजूद यह वायरस ज़िंदा रहे।
4. मिथक: पूरे शरीर पर ऐल्कॉहॉल स्प्रे करने से कोरोना से बच सकते हैं
हकीकत: ऐल्कॉहॉल स्प्रे करने से वह वायरस नहीं मरेगा, जो आपके शरीर में पहले ही जा चुका है। ऐल्कॉहॉल मुंह, आंख, नाक के लिए नुकसानदेह हो सकता है। लिहाजा ऐल्कॉहॉल को पूरे शरीर में स्प्रे करने की बजाए हैंड सैनिटाइजर के तौर पर इसका इस्तेमाल करें ताकि आप इंफेक्शन से बचे रहें।
5. मिथक: पालतू जानवर कोरोना फैला सकते हैं
हकीकत: अभी ऐसा कोई सबूत नहीं है कि आपके पालतू कुत्ते या बिल्ली को कोरोना हो सकता है। लेकिन फिर भी अपने पालतू जानवरों जैसे- डॉग या कैट को छूने के बाद अच्छी तरह से हाथ धो लेना बेहतर होगा।
6. मिथक: फ्लू की वैक्सीन कोरोना से बचा सकती है
हकीकत: निमोनिया या इन्फ्लूएंजा टाइप बी की वैक्सीन कोरोना से बचाव नहीं करती। इसके लिए अलग वैक्सीन की जरूरत है जो अब तक बनी ही नहीं है और कोरोना का इलाज भी अब तक खोजा नहीं जा सका है। लिहाजा बेहद जरूरी है कि इस इंफेक्शन से बचा जाए और इसे होने से पहले ही रोक दिया जाए।
7. मिथक: इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाएं कोरोना से बचा सकती हैं
हकीकत: ऐसी दवाएं फिर चाहे ऐलोपैथिक हो, होम्योपैथिक या फिर आयुर्वेदिक ये भले ही आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार हों लेकिन ये दवाएं कोरोना से बचाव कर सकती हैं, ऐसे सबूत अब तक नहीं मिले हैं।
8. मिथक: हर किसी को N95 मास्क यूज करना चाहिए
हकीकत: ऐसे हेल्थ केयर वर्कर, जो कोरोना पीड़ित के आसपास काम करते हैं, उन्हें ही N95 मास्क की जरूरत है। आम लोग, जिनमें कोई लक्षण नहीं है, उन्हें किसी मास्क की जरूरत नहीं है। हालांकि किसी भी तरह के वायरस के खतरे से बचने के लिए अगर आप मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो यह एक अडिशनल फायदा हो सकता है।
9. मिथक: ऐंटिबायॉटिक्स दवाएं कोरोना से बचा सकती हैं
हकीकत: ऐंटिबायॉटिक्स दवाएं बैक्टीरिया के खिलाफ काम करती हैं वायरस के खिलाफ नहीं और कोरोना एक वायरस है। हां, अगर कोई इंफेक्शन के बाद अस्पताल में भर्ती है तो कई बार ऐंटिबायॉटिक्स देनी पड़ सकती है क्योंकि बैक्टीरिया से जुड़ा को-इन्फेक्शन उस व्यक्ति होना मुमकिन है। और जहां तक कोरोना के इलाज की बात है तो अब तक इसका कोई इलाद खोजा नहीं जा सका है।
10. मिथक: चिकन, मछली, मीट खाने से कोरोना का खतरा बढ़ जाता है
हकीकत: यह सांस से जुड़ा वायरस है और यह संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। इसके चिकन, मछली, मीट खाने से फैलने के कोई सबूत अब तक नहीं मिले हैं।