पटना बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का कहना है कि कोरोना से लड़ने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए तीन कदम ने ना सिर्फ बिहार को पहले स्थान पर खड़ा किया, बल्कि इसकी वजह से दूसरे राज्यों की तुलना और आबादी के अनुपात को देखें तो, बिहार में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या मात्र 86 और मरने वालों की तादाद केवल दो तक सीमित है। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत का ही नतीजा है कि बिहार में अब तक 37 मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर अपने घर लौट चुके हैं। यही वजह है कि बिहार का अनुसरण करते हुए झारखंड ने जहां ये योजना प्रारंभ की है वहीं उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा भी शुरूआत करने की तैयारी में हैं।
राज्य सरकार ने उठाए ये तीन कदम
सुशील मोदी ने सरकार की ओर से उठाए गए तीन फैसलों की जानकारी भी दी है। उन्होंने कहा कि प्रवासियों को 1-1 हजार की मदद, स्वास्थ्य कर्मियों को एक माह का अतिरिक्त वेतन और घर-घर जाकर पल्स पोलियो की तर्ज पर व्यापक सर्वेक्षण और स्क्रीनिंग कर संक्रमितों की पहचान करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है जिसने वैश्विक महामारी कोरोना का मजबूती से मुकाबला किया है।
'अधूरी जानकारियों के जिद्दी वायरस से भी लड़ना जरूरी'
बिहार के डिप्टी सीएम ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने जब कम जांच होने का रोना रोया था, तब न उन्हें राष्ट्रीय औसत का पता था, न उन्हें घर-घर जांच अभियान की जानकारी थी। मोदी ने कहा बिहार में मरीजों की संख्या दोगुनी होने की दर राष्ट्रीय औसत से कम है। इसलिए कोरोना काल में अधूरी जानकारियों के जिद्दी वायरस से भी लड़ना जरूरी है। उन्होनें यह भी कहा कि लॉकडाउन का सख्ती से पालन, संक्रमित मरीजों की जांच और जल्द ईलाज की वजह से बिहार को कोरोना को हराने में अच्छी सफलता मिली।
20 अप्रैल से 5 लाख गरीबों को रोजगार: सुशील मोदी
सुशील मोदी ने यह भी जानकारी दी है कि, 20 अप्रैल से बिहार की सभी 8386 पंचायतों में लगभग 40 हजार परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा। इससे पांच लाख लोगों को रोजगार मिलने से गरीबों को बड़ी राहत मिलेगी। गांवों में अस्थायी आधार केंद्र भी बनाए जाएंगे, जिससे मजदूरों के खातों को आधार से जोड़ना आसान हो सके। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन पैकेज में गरीब-मजदूर पर ही सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया। सरकार जान और जहान, दोनों बचाने के मंत्र का पालन कर रही है।