कोरोना: विशेषज्ञों ने चेताया, मई का महीना बेहद अहम, हालात के काबू होने या हाथ से फिसलने का वक्


नई दिल्ली
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए दो चरणों में लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन की मियाद 3 मई को खत्म होने वाली है। अब सबकी नजर इस पर है कि लॉकडाउन को फिर बढ़ाया जाएगा या नहीं। केंद्र के संकेतों से स्पष्ट है कि देशव्यापी लॉकडाउन को और ज्यादा रियायतों के साथ बढ़ाया भी जा सकता है। हालांकि मेडिकल एक्सपर्ट्स ने चेताया है मई का महीना देश के लिए कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 'बनने या बिगड़ने' वाला साबित हो सकता है लिहाजा बहुत फूंक-फूंककर कदम रखना होगा। इसे लेकर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है, आइए देखते हैं उसकी 10 बड़ी बातें।

1- लॉकडाउन से वायरस नहीं मरेगा, बस फैलाव धीमा करेगा
फोर्टिस नोएडा में पुल्मोनोलॉजी ऐंड क्रिटिकल केयर के अडिशनल डायरेक्टर डॉक्टर राजेश कुमार के मुताबिक मई का महीने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 'मेक ऑर ब्रेक' का रहने वाला है। उन्होंने कहा कि हमें समझने की जरूरत है कि लॉकडाउन वायरस को खत्म नहीं करेगा, बस उसके फैलाव को धीमा करेगा। उन्होंने रेड जोन्स में लॉकडाउन को कम से कम दो हफ्ते या उससे भी ज्यादा वक्त तक बढ़ाने की वकालत की है।


2- आक्रामक कंटेनमेंट स्ट्रैटिजी की जरूरत
मेडिकल एक्सपर्ट्स की सलाह है कि हॉटस्पॉट्स में पहले से भी ज्यादा सख्ती की जरूरत है। उनके मुताबिक हॉस्पॉट्स में आक्रामक कंटेनमेंट स्ट्रैटजी अपनाने और ग्रीन जोन में छूट का दायरा और बढ़ाने की जरूरत है। डॉक्टर गुप्ता के मुताबिक रेड जोन्स में और सख्ती की जरूरत है जबकि ग्रीन जोन्स में जनजीवन सामान्य की ओर बढ़ाने की जरूरत है। और ऐसा करते वक्त यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि रेड जोन्स से कोई ग्रीन जोन्स में या ग्रीन जोन्स से कोई रेड जोन्स में न जाए। जिन जगहों पर लगातार नए केस मिल रहे हैं वहां पाबंदियों को जारी रखना बहुत अहम है।


3- यात्राओं पर प्रतिबंध जारी रहे
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के जाने-माने लंग सर्ज डॉक्टर अरविंद कुमार की सलाह है कि रेल और हवाई यात्रा के साथ-साथ इंटर-स्टेट बस सर्विस पर भी कम से कम मई महीने तक रोक जारी रहनी चाहिए। इसके अलावा मॉल्स, शॉपिंग कॉम्पलेक्स, धार्मिक स्थानों और दूसरे सार्वजनिक जगहों को अभी और एक महीने तक बंद ही रखा जाना चाहिए। 
4- ग्रीन डिस्ट्रिक्ट्स की सीमाएं पूरी तरह सील हों
डॉक्टर कुमार के मुताबिक अब तक कोरोना के प्रकोप से अछूते रहे जिलों को सील किया जाना चाहिए। वहां सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सीमित गतिविधियों को इजाजत हो। ग्रीन जोन्स में भी लगातार हाथों को धोना, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना लोगों की लाइपस्टाइल का हिस्सा हो।


5- रेड जोन घटे लेकिन संक्रमण मुक्त जिले भी घटे, सावधानी जरूरी
अच्छी बात यह है कि पिछले 15 दिनों में देश के हॉटस्पॉट्स जिलों की संख्या 170 से घटकर 129 पर आ गई है। दूसरी ओर नॉन-हॉटस्पॉट जिलों यानी ऑरेंज जोन्स की संख्या 207 से बढ़कर 297 हो चुकी है। वैसे थोड़ी चिंता की बात यह है कि कोरोना से अछूते जिलों की संख्या भी इस दौरान घटी है। 15 दिन पहले देश में 325 ऐसे जिले थे जहां कोरोना नहीं पहुंचा था लेकिन अब उनकी संख्या घटकर 307 हो चुकी है। डॉक्टर कुमार के मुताबिक, बहुत ही सावधानी की जरूरत है। वायरस के फैलने की रफ्तार को रोकने के लिए जरूरी है कि रेड जोन में कंटेनमेंट को फॉलो किया जाए और ग्रीन जोन्स में बहुत ही सावधानी से पाबंदियों को हटाया जाए।


6-रेड जोन वाले जिलों में जब तक नए मामले घटते नहीं, लॉकडाउन जारी रहे
डॉक्टर अरविंद कुमार के मुताबिक वे जिले जहां से नए केसों के आने का सिलसिला बना हुआ है, वहां तब तक लॉकडाउन जारी रखना चाहिए जब तक कि वहां कोरोना केसों का ग्राफ गिरने नहीं लगे।


7- ऐसे नाजुक वक्त में कोई भी बड़ी छूट पड़ सकती है भारी
मैक्स हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के असोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर रोमेल टीकू चेताते हैं कि ऐसे अहम वक्त में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कोई बड़ी छूट 'विनाशकारी' साबित हो सकती है। उनके मुताबिक पाबंदियों को कम से कम एक और महीने तक बरकरार रखना चाहिए। वह भी मॉल्स, स्कूल, कॉलेज, बाजार आदि को पूरे मई महीने तक बंद रखने के पक्षधर हैं। डॉक्टर टीकू के मुताबिक एक भी गलती वायरस को बहुत ज्यादा फैला सकती है और अब तक किए गए अच्छे कामों पर पानी फेर सकती है। 
8- इकनॉमिक ऐक्टिविटीज जरूरी, मगर सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी
डॉक्टर टीकू देशव्यापी लॉकडाउन को कम से कम 4 और हफ्तों तक जारी रखने के पक्षम में हैं। उनका कहना है कि जब नए केस लगातार बढ़ रहे हैं तो ऐसे वक्त में लॉकडाउन हटाना ठीक नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, 'ग्रीन जोन्स में कुछ आर्थिक गतिविधियों को इजाजत दी जा सकती है लेकिन इसमें हमें बहुत सावधान रहना होगा।'


9- ज्यादातर विकसित देशों के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर
विशेषज्ञों के मुताबिक विकसित देशों के मुकाबले भारत में स्थिति अभी तक काफी बेहतर दिख रही है। 1000 मौतों को बेंचमार्क मानें तो भारत में जब 31 हजार से ज्यादा केस पहुंचे तब मौत का आंकड़ा हजार के पार पहुंचा। दूसरी ओर इटली में संक्रमण के 15113, यूके में 17,089, फ्रांस में 22,304, स्पेन में 21,571 और बेल्जियम में 15,348 मामलों के होते-होते मौत का आंकड़ा एक हजार पार कर गया था। यह दिखाता है कि भारत में अभी डेथ रेट कम बनी हुई है। 
10- भारत में वायरस के फैलने की रफ्तार लगातार हो रही धीमी
भारत में डेथ रेट तो कम है ही, वायरस के फैलने की रफ्तार में भी कमी आई है। बात अगर डबलिंग रेट यानी केसों के दोगुने होने की दर की करें तो भारत में केसों के 2000 से 4000 पहुंचने में महज 3 दिन लगे थे। लेकिन इसे 16 हजार से 32 हजार तक पहुंचने में 10 दिन लगे। अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन की तुलना में भारत में डबलिंग रेट बेस्ट है।