जयपुर. लॉकडाउन की वजह से देश में 25 मार्च से बंद घरेलू उड़ानें 62 दिनों बाद सोमवार से फिर से शुरू हो गईं। यहां से जाने वाले यात्रियों के चेहरे पर खुशी साफ नजर आ रही थी क्योंकि घरेलू उड़ानों का संचालन उनके लिए राहत की उड़ान साबित हुआ। नागालैंड की रहने वाली प्रेमलता सेठी को छोड़ने के लिए आए जयपुर के बापूनगर निवासी उनकी बेटी अनामिका और दामाद रोहित कटारिया ने कहा कि वे आज काफी खुश हैं, क्योंकि उनकी मम्मी दो महीने बाद आज बेंगलुरु में बेटे के पास जा सकेंगी।
दो माह से लॉकडाउन में फंसी सास को बेंगलुरु की फ्लाइट में छोड़ने आए रोहित ने मोबाइल से कैप्चर किया पत्नी और सास का फोटो।
अनामिका ने बताया कि उनकी मम्मी 8 मार्च को उनसे मिलने जयपुर आई थी। 22 मार्च को उनका बेंगलुरु के लिए रिटर्न टिकट था। लेकिन उसी दिन लॉकडाउन हो गया और वे यहीं फंस गई। वे लंबे समय से फ्लाइट्स शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। यह इंतजार आज पूरा हुआ। अनामिका और उनके पति रोहित ने बताया कि हमें डर है कि आगे दो-तीन महीने संक्रमण का थोड़ा सा ज्यादा डर होगा। पहली उड़ान में संक्रमण का खतरा कम है। ऐसे में उन्होंने तत्काल मम्मी को टिकट ऑनलाइन खरीदा। यह किराया पहले से महंगा था। लेकिन फिर भी उनके लिए यह उड़ान राहत भरी है।
कल बड़े भाई का देहांत हुआ, आज घरेलू उड़ान शुरू होने की वजह से उत्तरप्रदेश लौट सकूंगा-मूल रूप से लखनऊ, उत्तरप्रदेश के रहने वाले निर्भय कुमार तिवाड़ी राजस्थान के जैसलमेर शहर में केंद्रीय विद्यालय में टीचर हैं। निर्भय कुमार ने बताया कि कल उनके बड़े भाई का देहांत हो गया था। लॉकडाउन की वजह से वह अपने गांव भाई के अंतिम संस्कार में नहीं जा सके थे। ऐसे में उम्मीद भी कम नजर आ रही थी कि वे गांव चले जाएंगे। लेकिन 25 मई सोमवार से शुरू होने वाली घरेलू उड़ान उनके लिए राहत बनकर आई। उन्होंने तत्काल ऑनलाइन टिकट बुक करवाया। वे रविवार रात 8 बजे जैसलमेर से बस में रवाना होकर सोमवार को जयपुर एयरपोर्ट पहुंचे। शाम 5 बजे उनकी फ्लाइट जयपुर से दिल्ली पहुंचेगी। इसके बाद वे दिल्ली से लखनऊ जा सकेंगे। निर्भय के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से यह काफी महंगा और लंबा सफर है। लेकिन इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है। वे भाई के अंतिम दर्शन नहीं कर सके। लेकिन अब गम की इस घड़ी में परिवार के साथ दर्द बांट सकेंगे।
मां बोली- बेटी की डिलीवरी होने वाली है, महीनेभर से इंतजार कर रहे थे, अब काफी खुश-बेंगलुरू जा रही जोधपुर निवासी एक महिला ने कहा कि उनकी बेटी की डिलीवरी होने वाली है। वह बेंगलुरु में अकेली है। क्योंकि पति भी आईटी जॉब में होने से बाहर है। वे दो महीने से इंतजार कर रही थी कि लॉकडाउन खुले या फिर फ्लाइट शुरू हों। ताकि वे बेटी के पास जा सकें। लेकिन कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। बेटी की चिंता को लेकर तनाव बढ़ रहा था। लेकिन अब घरेलू उड़ान की वजह से आपसी में समधन लगने वाली दोनों महिलाएं सोमवार को जोधपुर से जयपुर पहुंची। यहां बेंगलुरु की फ्लाइट से रवाना हुई। लंबी लाइन में खड़ी इन महिलाओं ने कहा कि किराया लगभग दोगुना हो गया है। इस बार बहुत कुछ नया है। जैसे हाथों में पहने ये ग्लब्स, चेहरे पर लगा मास्क और ये सोशल डिस्टेंसिंग वाली लंबी लाइन। जो उन्होंने पहले कभी हवाई यात्रा के दौरान नहीं देखी।
फ्लाइट से जयपुर पहुंचे यात्री ने कहा- ग्रीन जोन से रेड जोन में आया हूं, इसलिए पीपीई किट पहनी-घरेलू उड़ान शुरू होने के पहले दिन जयपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे एक यात्री ने बताया कि वे मालवीय नगर के रहने वाले हैं। आज घरेलू उड़ान शुरू होने के बाद वे पहली फ्लाईट में हैदराबाद से जयपुर पहुंचे। उन्होंने पूरा सफर पीपीई किट पहनकर किया। इसके अलावा लगेज बैग को भी पूरी तरह से पॉलीथिन में पैक कर रखा था। इसके पीछे की वजह जानने पर यात्री ने बताया कि वे ग्रीन जोन (हैदराबाद) से रेड जोन (जयपुर) में आए हैं। इसलिए सुरक्षा बरतनी जरूरी है, क्योंकि सावधानी ही कोरोना संक्रमण से बचाव कर सकती है।
बाहर से आने जाने वाले यात्रियों के लिए टैक्सी गाड़ियों को सैनिटाइज किया जा रहा
प्रीपेड टैक्सी काउंटर एसोसिएशन के महासचिव सुमेर सिंह शेखावत ने बताया कि बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। उन्होंने अपनी हर टैक्सी कार में सैनिटाइजर, हैंडवाॅश और साबुन की टिकिया रखी है। ड्राइवर के लिए मास्क और हैंड ग्लव्स लगाना अनिवार्य किया है। इसके अलावा बाहर से आने वाली हर टैक्सी एयरपोर्ट पर पार्क होने पर उसे सैनिटाइज किया जा रहा है। इसके अलावा पैसेंजर को भी गाड़ी में बैठाने से पहले हाथ सैनिटाइजर से धुलवाए जाएंगे। इसके बाद ही टैक्सी उसे गंतव्य तक छोड़कर आएगी। इसके बाद उसे वापस सैनिटाइज किया जाएगा।
जयपुर से बाहर जाने वाले यात्रियों के मेडिकल हेल्थ स्क्रीनिंग के बाद हाथ पर इंक मार्क लगाया गया।
जयपुर एयरपोर्ट पर भी बाहर जाने वाले यात्रियों से एक हेल्थ डिक्लयरेशन फॉर्म भरवाया जा रहा है। जिसमें कुछ बिंदु लिखे गए हैं कि यात्री क्वारैंटाइन नहीं रहा है। वह कंटेंनमेंट जोन में नहीं रहा है। उसे बुखार नहीं हुआ है। इसके अलावा यात्रियों के सामान को बाहर जाने से पहले एयरपोर्ट कर्मचारियों द्वारा सैनिटाइज किया जा रहा है। हेल्थ स्क्रीनिंग के बाद ओके होने पर उनके हाथ में एक ठप्पा लगाया जा रहा है। इसके अलावा एक काउंटर पर विशेष तरीके से बोर्डिंग पास चेक किया जा रहा है। वहां सोशल डिस्टेंस पर यात्रियों को खड़ा करने के लिए गोले बनाए गए हैं।