नई दिल्ली
मालदीव के रूप में भारत को एक ऐसा दोस्त मिला है जिसपर भरोसा किया जा सकता है। कश्मीर का मुद्दा हो या फिर हिंद महासागर के विवाद, मालदीव की आवाज भारत के पक्ष में उठी है। ताजा घटनाक्रम ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन) का है। जहां इस्लामोफोबिया को आधार बनाकर भारत को किनारे करने की साजिश थी। पाकिस्तान ने भारत को फंसाने के लिए जो पैंतरा चला था, उसे मालदीव ने फेल कर दिया। मालदीव ने दो-टूक कहा कि इसके लिए किसी एक देश को दोष देना ठीक नहीं। मालदीव IOC के अंदर ऐसे किसी ऐक्शन का समर्थन नहीं करेगा जिसमें भारत को निशाना बनाया जाएगा।
कश्मीर को बताया था भारत का अंदरूनी मसला
पाकिस्तान की कश्मीर को इंटरनैशनल लेवल पर हाईलाइट करने की कोशिशों का मालदीव लगातार विरोध करता रहा है। पिछले साल मालदीव में साउथ एशियन स्पीकर्स समिट हुई थी। इसमें पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश तो मालदीव के स्पीकर मोहम्मद नाशीद ने उन्हें बुरी तरह झिड़क दिया था। पाकिस्तान की कश्मीर से जुड़ी हर बात को कार्यवाही से बाहर करते हुए उन्होंने कहा था कि "कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है। मालदीव की कश्मीर पर पोजिशन 1947 से यही है।"
आर्टिकल 370 पर भी मिला साथ
अगस्त 2019 में जब भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला किया तो कई देशों ने विरोध किया। इस्लामिक देशों की ओर से कड़े शब्दों के इसकी आलोचना की गई। तब भी मालदीव पूरी तरह से भारत के साथ खड़ा था। मालदीव की सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा था, "भारत सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जो फैसला किया है, उसे मालदीव एक आंतरिक मामला मानता है।" इसमें कहा गया था कि "हम मानते हैं कि हर संप्रभु देश को अपनी जरूरत के हिसाब से कानून में परिवर्तन का अधिकार है।"
हिंद महासागर में स्थिरता के पक्षधर दोनों देश
मालदीव भारत का सहयोगी है, यह बात वहां के विदेश मंत्री इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कह चुके हैं। हिंद महासागर में शांति और स्थिरता को लेकर भी दोनों देशों की राय एक है। उन्होंने इसी साल जनवरी में कहा था, "हमारे भारत से बेहतरीन रिश्ते हैं। दिल्ली ने पिछले साल कई प्रोजेक्ट्स के लिए पैसा दिया था। आर्टिकल 370 पर भारत का समर्थन करने वाला भारत पहला देश था।"
2018 में भारत आए थे मालदीव के राष्ट्रपति
दो साल पहले, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह भारत दौरे पर आए थे। शपथ लेने के 15 दिन के भीतर उन्होंने नई दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। तीन दिन के अपने दौरे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर कई प्रोजेक्ट्स के लिए मदद मांगी थी। भारत ने उन्हें पूरी मदद का भरोसा दिया था।
भारत भी मदद करने में पीछे नहीं
मालदीव जैसे दोस्त की मदद करने में भारत भी पीछे नहीं रहा। पिछले महीने, कोरोना वायरस से जूझ रहे मालदीव के लिए भारत ने 'ऑपरेशन संजीवनी' चलाया था। 18 घंटे के इस ऑपरेशन के जरिए भारतीय वायुसेना ने नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और मदुरै से 6.2 टन जरूरी दवाएं और अस्पताल की चीजें मालदीव को भेजी थीं। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शहिद ने भारत को तब 'दोस्त और पार्टनर' करार दिया था। उन्होंने खासकर पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर का शुक्रिया अदा किया था।