लॉकडाउन में जिनके पास पैसे नहीं हैं, उनका सोचकर दुख होता हैः फातिमा सना शेख



'दंगल' फेम ऐक्ट्रेस फातिमा सना शेख लॉकडाउन में अपने परिवार के साथ हैं और अपने आपको खुशकिस्मत मानती हैं। ऐक्ट्रेस उन लोगों के लिए दुखी हैं, जिन लोगों के पास घर या पैसा नहीं है।

इस लॉकडाउन में 'दंगल' फेम फातिमा सना शेख ने जिंदगी को अलग तरह से देखना सीख लिया है। उन्हें इस लॉकडाउन से उकताहट और घबराहट तो होती है, मगर वे जानती हैं कि ये जरूरी है। यहां वे लॉकडाउन, अपनी फिल्मों और दूसरे मुद्दों पर बात करती हैं।


लॉकडाउन को एक लंबा समय बीत गया है। आप कैसा महसूस कर रहीं हैं?

शुरू में बहुत उलझन होती थी, फिर धीरे-धीरे आदत पड़ गई, मगर अब बहुत उकता गई हूं। मैं रहती बेशक अकेले हूं, लेकिन इसी बिल्डिंग में मेरे मम्मी, पापा और भाई भी रहतें हैं। खुशकिस्मती से मैं अपने परिवार के साथ ही हूं। मुझे घर बैठें कोई तकलीफ नहीं हो रहीं है, क्योंकि मुझे इसकी आदत है। पर मुझे अपने परिवार और दोस्तों की चिंता होती है। जिन लोगों के पास घर या पैसा नहीं है, वह लोग अपना ख्याल कैसे रखेंगे। बस यही सोचकर दुख होता है।


मुंबई और महाराष्ट्र को लेकर क्या कहना चाहेंगी, महाराष्ट्र पूरे देश में सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य है?
जिस तरह से महाराष्ट्र सरकार सक्रिय होकर कम कर रही है, उससे मुझे संतुष्टि है। अगर आप सोशल मीडिया पर बीएमसी या मुंबई पुलिस का पेज फॉलो करें, तो आप देख सकते हैं कि वह कितनी सारी चीजें कर रही है। वह गरीबों के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं, जिससे उनको राहत मिल सके। मैं अपने आपको खुशनसीब मानती हूं कि मैं महाराष्ट्र में रहती हूं। हमारी सरकार हर मामले में बहुत इन्वॉल्व है। दिन भर में मुझे कभी-कभार एंजायटी फील होती है। मैं कोशिश करती हूं कि ज्यादा निगेटिव चीजें न पढूं। अगर आप ऐसी खबरें पढ़ते हैं, तो आप पूरा दिन वही सोचते रहते हैं। दुनिया में जो हो रहा है, वह बहुत दुख की बात है। मैं ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकती, बस घर पर रह सकती हूं। शायद कुछ पैसे फंड्स में दान कर सकती हूं, जिससे गरीबों की हेल्प हो सके।


डोनेशन या मदद की बात हो, तो फिल्म इंडस्ट्री मुसीबत के वक्त हमेशा आगे आती है।
मुझे लगता है, जब आप दान करते हो तो आपको बताने की जरूरत नही है। सबका अपना तरीका होता है। लोग फिल्म ऐक्टर्स या पब्लिक फिगर से एक्सपेक्ट करते हैं कि वह ऐसी चीजें करें, क्योंकि वह लोगों को इंस्पायर करते हैं। मेरा मानना है कि चैरिटी एक बहुत ही पर्सनल चीज होती है। जिन्हें दिल से परवाह होती है, वह करते हैं। मगर दिखावे के लिए करते हैं, तो भी अच्छी बात है, दिखाने के लिए भी कर लो, इससे किसी और का भला तो हो ही रहा है।


आपकी आने वाली फिल्म लूडो के बारे में बताएं, इस फिल्म को लेकर लोगों में बहुत उत्सुकता है?
मैं खुद इस फिल्म का बहुत इंतजार कर रही हूं। हम काफी समय से इस पर काम कर रहे थे। इसकी रिलीज डेट भी दो-तीन दफा पुश हो गई थी। दुर्भाग्य से पूरी दुनिया की स्थिति इतनी खराब है कि अभी इसके बारे में सोचना मूर्खता है। अभी आपको इन चीजों के बारे में नहीं बल्कि इंसानियत के बारे में सोचना चाहिए। जब सारी चीजें दोबारा ठीक हो जाएगी और जब यह फिल्म आएगी तो, मैं चाहती हूं कि लोगों को यह पसंद आए। मुझे इस फिल्म में निर्देशक अनुराग बसु और राजकुमार राव के साथ काम करके बहुत मजा आया।


आपकी एक और फिल्म सूरज पे मंगल भारी के बारे में कुछ बताइए, इसका टाइटल ही बहुत दिलचस्प लग रहा है?
इस फिल्म का एस्ट्रोलॉजी से कुछ लेना-देना नहीं है। यह एक फैमिली कॉमेडी फिल्म है। यह जॉनर मैं पहली बार कर रही हूं और मनोज बाजपेई और दिलजीत दोसांझ जैसे उम्दा ऐक्टर्स के साथ काम कर रहीं हूं। इस वजह से मैं इस फिल्म का हिस्सा बन कर बहुत खुश हूं। हम लंबे समय से मनोज बाजपेई को देखते आए हैं। उन्होंने कितनी सारी अच्छी फिल्में और किरदार निभाए हैं। दिलजीत बहुत नए हैं, पर उन्होंने भी बहुत अच्छा काम किया है। इसके अलावा मनोज पाहवा, सीमा पाहवा और सुप्रिया पिलगांवकर भी फिल्म का हिस्सा हैं। यह सारे ही थिएटर ऐक्टर्स हैं और बहुत स्पॉन्टेनियस हैं। उनके साथ काम करके बहुत मजा आया। कई बार सीन्स के बीच हम खुद हंस पड़ते थे।


आपने इंडस्ट्री के दो पावरहाउस अमिताभ बच्चन और आमिर खान के साथ काम किया है, उनसे आपने क्या सीखा?
मुझे लगता है कि मेरा नसीब बहुत अच्छा है कि मुझे इतने बड़े ऐक्टर्स के साथ काम करने का मौका मिला। जब आप उनके साथ काम करते हैं, तब आपको समझ आता है कि वह इतने बड़े स्टार्स क्यों हैं। जिस तरह से वह अपना काम बड़ी मेहनत और प्यार से करते हैं, वह काबिल-ए-तारीफ है। जैसे जब आप किसी बच्चे को चॉकलेट दिखाते हो और वह खुश हो जाता है, वैसे ही यह दोनों भी सेट पर काम करते हुए उतने ही खुश रहते हैं। जबकि इंडस्ट्री में काम करते हुए इन्हें बरसों बीत गए हैं। जब हम रोज एक्टिंग करते हैं, तो हमारा पैशन खत्म हो जाता है और फिर वह बस काम रह जाता है। मुझे उनके साथ काम करके सबसे बड़ी सीख यह मिली कि चाहे कुछ हो जाए अपना पैशन और काम के लिए अपना प्यार कभी नहीं छूटना चाहिए।