सरिस्का. यहां सरिस्का बाघ परियोजना से मंगलवार को बड़ी खुशखबरी मिली। सरिस्का में बाघिन (एसटी-12) ने तीन शावकों को जन्म दिया है। जंगल में लगाए गए कैमरों में तीनों शावक अपनी मां के साथ घूमते दिखाई दिए हैं। शावकों की उम्र दो महीने से अधिक है। लॉकडाउन में सरिस्का से दूसरी बार वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर मिली है। इससे पहले 31 मार्च को बाघिन (एसटी-10) के साथ एक शावक पानी के कुंड में अठखेलियां करते हुए कैमरे ने कैद हुआ था। सरिस्का में अब बाघ-बाघिनों की संख्या 20 हो गई है। इनमें 10 बाघिन, 6 बाघ और 4 शावक हैं
सरिस्का डीएफओ एसआर यादव ने बताया कि बाघिन एसटी-12 की तीन महीने से लगातार निगरानी की जा रही थी। बाघिन एसटी-12 की कैमरा ट्रैप में तीन शावकों के साथ फोटो आई है। बाघिन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वनकर्मी इलाके में लगातार नजर रख रहे हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि कोरोना की चिंताओं के बीच बाघिन एसटी -12 ने अच्छी खबर दी है। सरिस्का बाघ अभयारण्य में अब 20 बाघ हो गए हैं।
दूसरी बार बनी मां, दो साल पहले भी दिए थे तीन शावक
बाघिन एसटी-12 दूसरी बार मां बनी है। इससे पहले सितंबर 2018 में इसी बाघिन ने 3 शावकों को जन्म दिया था। इनमें दो नर और एक मादा शावक थी। सरिस्का प्रशासन ने इनके नाम बाघिन एसटी-19 तथा बाघ एसटी-20 व एसटी-21 रखे हैं। सरिस्का को छह शावक दे चुकी बाघिन एसटी-12 की मां एसटी-10 है। एसटी-10 को जनवरी 2013 में रणथंभौर से सरिस्का में शिफ्ट किया था। उसके बाद उसकी बहन एसटी-9 भी आई थी। एसटी -9 व एसटी-10 की मां की रणथंभौर में मौत हो गई थी। उनका देखभाल एक बाघ ने की थी। बाद में इन दोनों बाघिनों को सरिस्का शिफ्ट कर दिया था।
बाघिन की सुरक्षा बढाई, शावकों का पिता है एसटी-13
शावकों का पता लगने के बाद बाघिन एसटी-12 व उसके शावकों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सरिस्का के कर्मचारी लगातार निगरानी कर रहे हैं। जिस इलाके में बाघिन और उसके शावक हैं, वह बाघ एसटी-13 का इलाका है। यही बाघ इन शावकों का पिता बताया जा रहा है। हालांकि, यह रेंज बाघिन एसटी-10 की भी टैरीटरी रहा है। इसने भी पहले तीन शावकों को जन्म दिया था।
सरिस्का में पांच बाघ बाघिनों व तीन शावकों की हो चुकी है मौत
रणथंभाैर से बाघों की शिफ्टिंग से लेकर अब तक सरिस्का में पांच बाघ-बाघिनों और तीन शावकों की मौत हो हुई थी। सरिस्का में 2008 में सबसे पहले शिफ्ट किए गए बाघ एसटी-1 की जहर देकर हत्या कर दी गई। बाघ एसटी-11 की फंदा लगाकर शिकार किया गया। इसी तरह लापता हुई बाघिन एसटी-5 का भी सरिस्का में शिकार हाे गया।
बाघ एसटी-4 दो बाघों के बीच हुए झगड़े में घायल होकर मर गया। सरिस्का में सबसे बाद में रणथंभौर से लाया गया बाघ एसटी-16 की ट्रेंक्युलाइज करने के बाद मौत हो गई। इस बाघ को ट्यूमर के इलाज के लिए ट्रेंक्युलाइज किया था। बाघिन एसटी-10 के तीन शावक भी जन्म के कुछ दिन बाद लापता हो गए थे।